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छोड़ो भी अब वो गुजारी हुई जिंदगी की बात, लम्हात ए पुर जूनून की वो बेख़ुदी की बात हर बात उन को लगती है जब दिल्लगी की बात, क्या दोस्तों की बात हो, क्या दोस्ती की बात। मुहँ को तो सी लिया है मगर डर ये है ज़फ़र आँसू ही कह न जाएं मेरी बेबसी की बात।
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