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इस कहानी में ऐतिहासिकता राजनैतिकता और सामाजिकता का मिश्रण है।
राजपूताना का महासाम्राज्य “जयराजगढ”, जिसका अंहकारी महाराणा महायोद्धा होने के साथ कुटिल राजनीतिज्ञ भी है । उसकी राजनीति केवल सिंहासन पर ही नहीं, अपने हर रिश्ते में चलती थी। उसने संतान पाने के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा की और फिर उसी संतान के विरूद्ध मौत का षड्यंत्र रच डाला।
“महारानी मीरामणि” जो कर्म से योद्धा है और धर्म से सन्यासी, भगवान शिव के आर्शीवाद से उसने अपने जीवन के हर दर्द को शक्ति में बदल डाला। सौतेली मां होते हुये भी सगी मां से बढ़कर एक ‘किन्नर’ राजकुमार को प्रेम किया, पूरे साम्राज्य से टक्कर लेकर उसकी रक्षा की और उसको महाराणा के सिंहासन पर बैठाने की तैयारी करने लगी।
एक ‘किन्नर’ राजकुमार जिसके कंधों पर पूरे किन्नर समाज को अधिकार दिलाने का दायित्व है।
महाराणा और महारानी के बीच राजनैतिक और सामाजिक युद्ध में कौन जीतेगा और कौन होगा राजसिंहासन का दावेदार???
क्या महारानी मीरामणि राजसिंहासन को ब्रह्म: सिंहासन में बदल पायेगी???
यह जानने के लिए आपको महारानी मीरामणि के संघर्ष की यात्रा का हिस्सा बनना होगा।
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